(आज जब मैंने अपने जीवन के छबीस बसंत पूरे कर लिए है, तो आज मैं पीछे मुड कर देखता हूँ और सोचता हूँ, कि पिछले छब्बीस सालों में मैंने क्या खोया और क्या पाया? प्रस्तुत है अंतर्मन की एक रचना, अपने जन्म-दिवस के मौके पर…..)
क्या खोया और क्या पाया, जीवन के छब्बीस वर्षों में
किससे कितना क्या लिया-दिया, जीवन के छब्बीस वर्षों में
माँ की ममता अपार मिली, पिता का भरपूर प्यार मिला
भाई बहन के स्नेह से मुझको रंग बिरंगा संसार मिला
दादी दादा का दुलार सही, सब रिश्तेदारों का लाड मिला
सब यारों ने प्रीत निभाई, सभी से सहयोग बे-आड़ मिला
खुशियाँ इतनी बटोरी मैंने, जीवन के छब्बीस वर्षों में
जगह नही थी रखने को भी, जीवन के छब्बीस वर्षों में
किस्मत का भरपूर धनी हूँ, जीवन के छब्बीस वर्षों में
सभी के उपकारों का मैं ऋणी हूँ, जीवन के छब्बीस वर्षों में
पाने-लेने की बात करूँ, तो मेरी बांछें खिल जाती है
पर जब देने का चर्चा हो, तो रूह तक मेरी हिल जाती है
जीवन के छब्बीस साल खो दिए, माँ-बाप को आंसू देने में
जिससे जितना लिया है मैंने, कसर नहीं छोड़ी उनको गम देने में
झूठे वादों के गुलदस्तें थमाए, जीवन के छब्बीस वर्षों में
ना पूछो किस-किस को लूटा मैंने, जीवन के छब्बीस वर्षों में
ना जाने कितनों के सपनो को तोडा, जीवन के छब्बीस वर्षों में
बस अपनों से ही मुंह है मोड़ा, जीवन के छब्बीस वर्षों में
क्या खोया और क्या पाया, जीवन के छब्बीस वर्षों में
किस्से कितना क्या लिया-दिया, जीवन के छब्बीस वर्षों में.
क्या खोया और क्या पाया, जीवन के छब्बीस वर्षों में
किससे कितना क्या लिया-दिया, जीवन के छब्बीस वर्षों में
माँ की ममता अपार मिली, पिता का भरपूर प्यार मिला
भाई बहन के स्नेह से मुझको रंग बिरंगा संसार मिला
दादी दादा का दुलार सही, सब रिश्तेदारों का लाड मिला
सब यारों ने प्रीत निभाई, सभी से सहयोग बे-आड़ मिला
खुशियाँ इतनी बटोरी मैंने, जीवन के छब्बीस वर्षों में
जगह नही थी रखने को भी, जीवन के छब्बीस वर्षों में
किस्मत का भरपूर धनी हूँ, जीवन के छब्बीस वर्षों में
सभी के उपकारों का मैं ऋणी हूँ, जीवन के छब्बीस वर्षों में
पाने-लेने की बात करूँ, तो मेरी बांछें खिल जाती है
पर जब देने का चर्चा हो, तो रूह तक मेरी हिल जाती है
जीवन के छब्बीस साल खो दिए, माँ-बाप को आंसू देने में
जिससे जितना लिया है मैंने, कसर नहीं छोड़ी उनको गम देने में
झूठे वादों के गुलदस्तें थमाए, जीवन के छब्बीस वर्षों में
ना पूछो किस-किस को लूटा मैंने, जीवन के छब्बीस वर्षों में
ना जाने कितनों के सपनो को तोडा, जीवन के छब्बीस वर्षों में
बस अपनों से ही मुंह है मोड़ा, जीवन के छब्बीस वर्षों में
क्या खोया और क्या पाया, जीवन के छब्बीस वर्षों में
किस्से कितना क्या लिया-दिया, जीवन के छब्बीस वर्षों में.
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