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Friday, July 1, 2011

कुंवारे लोग और देरी-(काल्पनिक)

कुछ साल पहले, मैं एक कार्यक्रम का संचालन कर रहा था. उस कार्यक्रम में अतिथि के रूप में अटल बिहारी वाजपेयी जी आने वाले थे. उन्होंने अपनी राजनितिक परम्परा के अनुसार उस कार्यक्रम में चार घंटों की देरी के साथ आगमन किया. मैंने चुटकी लेते हुए कहा कि शादीशुदा मर्द देर से आये तो समझ में आता है, ये भला कुंवारे लोग क्यों देरी से आने लगे. अटल जी माइक पर आये और बोले, बेटा शादी ही तो नहीं हुई है, बाकि तो सब कुछ है.

 अभी कुछ दिन पहले मैं एक और कार्यक्रम का संचालन कर रहा था, जिसमे बहन जी मायावती जी अतिथि के रूप में आने वाली थी. वो भी उस दिन 3-4 घंटें की देरी से आई. मैंने फिर चुटकी लेते हुए कहा, कि शादीशुदा लोग देर से आये तो समझ में आता है, ये भला कुंवारे लोग क्यों देरी से आने लगे. मैंने सोचा की मायावती जी भी कुछ ऐसा ही जवाब देगी. मायावती जी मंच पर आई और बोली, लगता है अब तेरी भी मूर्तियाँ बनवानी पड़ेगी!!!

- विभोर गुप्ता

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