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Wednesday, August 18, 2010

नौजवानों से दो बाते....

नौजवान  उठ  खड़े  हो , सुनो  देश  की  पुकार  को
राजधानिया  पुकार  रही  है  , गद्दी  पर  सिंहो   की  दहाड़  को
बचपना  अब  छोड़  दो , भूल  जाओ  माँ  के  लाड  प्यार  को
अस्त्र  शस्त्र  तुम  उठा  लो , चीर  दो  सागर  और  पहाड़  को

बहुत  हो  गयी  है  लड़ाई  मंदिर - मस्जिद  के  ऊपर
बहुत  खून  खराबा  हो  गया  है  जाति  मजहब  के  ऊपर
कुर्सिया  बदल  गयी  है  राम  मंदिर  के  लिए
खूब  लाशे  बिछ  गयी  है  बाबरी  मस्जिद  के  लिए
जनता  बंट  गयी  है  देखो  मजहबी  नाम  पर
सर  कट  गए  है  देखो  रहीम  और  राम  पर
कुर्सिया  अब  तुम  पकड़  लो , बदल  दो  सरकार  को
राजधानिया  पुकार  रही  है  , गद्दी  पर  सिंहो   की  दहाड़  को

देश  की  तरफ  तो  देखो  कानून  है  मरा  पड़ा
सुप्रीम  कोर्ट  भी  तो  देखो  मुकदमो  से  भरा  पड़ा
कोई  जू  नही  रेंगती   यहाँ  प्रशाशन  के  कानो  में
दारू  के  अड्डे   बन  गए  चौकियो  और  थानों  में
अबला  स्त्री  की  इज्जत  लुटी जा   रही  है  नोटों  पर
गरीब  की  बहु -बेटी  बैठाई  जा  रही  है  कोठो   पर
कोई  नही  सुन  रहा  गरीब  की  गुहार  यहाँ
हर  तरफ  ही  तो  देखो  एक  ही  पुकार  यहाँ
कोई  तो  हो  ऐसा  जो  सुधार  दे  इस  बिगाड़  को
राजधानिया  पुकार  रही  है  , गद्दी  पर  सिंहो   की  दहाड़  को

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