नमस्कार...


मैं विभोर गुप्ता आपका हार्दिक स्वागत करता हूँ | इस ब्लॉग पर आपको मेरी काव्य रचनाओं का संग्रह मिलेगा |
मेरी वेबसाइट पर जाने के लिए क्लिक करे www.vibhorgupta.webs.com

अगर आपको मेरा ब्लॉग अच्छा लगा तो आप इसे follower पर क्लिक कर follow कर सकते है | मैं आपका सदैव आभारी रहूँगा |

धन्यवाद |

Thursday, August 19, 2010

बेरोजगारी का दर्द

बेरोजगारी का आलम तो देखिये जनाब, हम कितना इसमें तड़प रहे है,
कल तो बस लिखते थे निबंध इस पर, आज खुद ही इस दौर से गुजर रहे है.

जुल्म तो देखिये बेरोजगारी का, हम कैसे कैसे ताने सह रहे है,
कब तक खाओगे बाप की कमाई, अब तो पडौसी भी हमसे कह. रहे है.

सपनो के जो बांधे थे पुल, वो भी ताश के पत्तो की तरह ढह रहे है,
उंचाइयो को छूने के थे जो अरमान, वो भी आंसुओ में बह रहे है.

मत पूछिए कोशिशो में क्या क्या दांव-पेंच नही भिड़ा रहे है,
फिर भी ये डिग्री और certificates हमको बेरोजगार कह कर चिढ़ा रहे है.

बेरोजगारी की इस महाबीमारी में, सभी तो रिश्ते तोड़ रहे है,
जिन्हें कहा करते थे हम अपना, वो भी हमसे मुंह मोड़ रहे है.

जो जिन्दगी लगा करती थी हसीं, उसी जिन्दगी से डर रहे है,
ये तो हम जानते है बेरोजगारी में, जिन्दगी जी रहे है या मर रहे है.

No comments:

Post a Comment