ये रचना मेरे कॉलेज दिनों की है, जब मैं ims देहरादून में mba में पढ़ा करता था. उन दो सालो में हमने खूब मस्तिया की, और आज मैं उन दिनों को और अपने कॉलेज के दोस्तों को बहुत miss कर रहा हूँ. इस कविता के माध्य्यम से मैंने अपने कॉलेज लाइफ की मस्तियो को एक रचना में समाकलित करने की कोशश की है. ये कविता मेरे कॉलेज के दोस्तों को समर्पित है.
आज ims का पहला दिन मुझे याद आ रहा है
वक़्त मुझे दो साल पीछे ले जा रहा है
साठ बच्चो का section , कैसे काटेंगे ये दो साल
साढ़े नौ से साढ़े पाँच तक तो मैं हो जाऊंगा बेहाल
पर ये दो साल न जाने कैसे बीत गए,
पहले सेमेस्टर से चौथे सेमेस्टर तक कैसे पहुँच गए
इन दो सालों में न जाने कितने दोस्त बन गए
छोटे छोटे अफसाने मीठी मीठी यादें बन गए
हर lecture के बाद हमेशा बाहर जाना
बाहर जाकर सीढियों तक घूम कर आना
क्लास रूम में तो कभी पढना ही न था
faculty से तो कभी डरना ही न था
finance के lecture में पीछे वाली सीट पर सो जाना
मार्केटिंग के period में किसी की यादो में सो जाना
चाहे कोई भी हो lecture प्रोक्सी जरुर लगवाना
चाहे बच्चे हो तीस, पर attendence पचास की लगवाना
लैब के lecture में हमेशा ऑरकुट ही है खोलना
अगर ऑरकुट है ब्लाक तो प्रोक्सी से खोलना
इन चार सेमेस्टर में चार hod बदल गए
पर हम न बदले हमारे teacher बदल गए
लास्ट बेंच से उडाना वो गुब्बारे और हवाई जहाज
और फिर वही से निकालना कुत्ते- बिल्ली की आवाज,
कभी तालिया पीटना, तो कभी डेस्क पर तबले बजाना
और कभी कभी तो किसी का भी हैप्पी बर्थडे मनवाना
वो फ्रेंच के teacher का बार-बार क्लास छोड़ कर जाना
और बार-बार ही सॉरी कह कह कर वापिस लाना
ब्रेक का बाद वो massbunk कराना
और उसके बाद शिव मंदिर चाय पीने जाना
क्लास में दूसरो के tiffin को खा जाना
और इन्टरनल में हमेशा ही पर्चिया कराना,
assignment हमेशा लास्ट डेट का बाद submit करना
और प्रोजेक्ट रिपोर्ट तो कट-कॉपी-पेस्ट करना
वो बर्थडे की पार्टिया याद आ रही है
वो ढाबे की चाय हमको सता रही है
न रहेंगे कल ये दिन, न रहेंगी ये राते
ना जाने कब होगी दोस्तों से मुलाकाते
अब न मिलेगी मस्तिया, ना dean सर की डांटे,
कॉलेज के बाहर तो मिलेगी दुनिया भर की लाते
जीवन में सब खुश रहे, कामयाबी को छू जाये
अब तो यही है इस दिल से दुआए
कुछ दिनों में ही हम यहाँ से चले जायेंगे
ये ims के दिन हमेशा याद आयेंगे,
इन दोस्ती की यादो को दूर तक लिए जाना
ये कविता भले ही ना याद रहे, इस कवि को ना भूल जाना.
आज ims का पहला दिन मुझे याद आ रहा है
वक़्त मुझे दो साल पीछे ले जा रहा है
साठ बच्चो का section , कैसे काटेंगे ये दो साल
साढ़े नौ से साढ़े पाँच तक तो मैं हो जाऊंगा बेहाल
पर ये दो साल न जाने कैसे बीत गए,
पहले सेमेस्टर से चौथे सेमेस्टर तक कैसे पहुँच गए
इन दो सालों में न जाने कितने दोस्त बन गए
छोटे छोटे अफसाने मीठी मीठी यादें बन गए
हर lecture के बाद हमेशा बाहर जाना
बाहर जाकर सीढियों तक घूम कर आना
क्लास रूम में तो कभी पढना ही न था
faculty से तो कभी डरना ही न था
finance के lecture में पीछे वाली सीट पर सो जाना
मार्केटिंग के period में किसी की यादो में सो जाना
चाहे कोई भी हो lecture प्रोक्सी जरुर लगवाना
चाहे बच्चे हो तीस, पर attendence पचास की लगवाना
लैब के lecture में हमेशा ऑरकुट ही है खोलना
अगर ऑरकुट है ब्लाक तो प्रोक्सी से खोलना
इन चार सेमेस्टर में चार hod बदल गए
पर हम न बदले हमारे teacher बदल गए
लास्ट बेंच से उडाना वो गुब्बारे और हवाई जहाज
और फिर वही से निकालना कुत्ते- बिल्ली की आवाज,
कभी तालिया पीटना, तो कभी डेस्क पर तबले बजाना
और कभी कभी तो किसी का भी हैप्पी बर्थडे मनवाना
वो फ्रेंच के teacher का बार-बार क्लास छोड़ कर जाना
और बार-बार ही सॉरी कह कह कर वापिस लाना
ब्रेक का बाद वो massbunk कराना
और उसके बाद शिव मंदिर चाय पीने जाना
क्लास में दूसरो के tiffin को खा जाना
और इन्टरनल में हमेशा ही पर्चिया कराना,
assignment हमेशा लास्ट डेट का बाद submit करना
और प्रोजेक्ट रिपोर्ट तो कट-कॉपी-पेस्ट करना
वो बर्थडे की पार्टिया याद आ रही है
वो ढाबे की चाय हमको सता रही है
न रहेंगे कल ये दिन, न रहेंगी ये राते
ना जाने कब होगी दोस्तों से मुलाकाते
अब न मिलेगी मस्तिया, ना dean सर की डांटे,
कॉलेज के बाहर तो मिलेगी दुनिया भर की लाते
जीवन में सब खुश रहे, कामयाबी को छू जाये
अब तो यही है इस दिल से दुआए
कुछ दिनों में ही हम यहाँ से चले जायेंगे
ये ims के दिन हमेशा याद आयेंगे,
इन दोस्ती की यादो को दूर तक लिए जाना
ये कविता भले ही ना याद रहे, इस कवि को ना भूल जाना.
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