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Tuesday, September 14, 2010

हिंदी दिवस पर विशेष

हर वर्ष की तरह इस बार भी हिंदी दिवस आया है
हिंदी सप्ताह व पखवाड़े के मनाने का दिन छाया है
इस बार भी हिंदी दिवस पर तरह तरह के आयोजन होंगे
हिंदी भाषा का प्रयोग करे, इस तरह के प्रायोजन होंगे
इस बार फिर हिंदी भाषा का रोना रोया जायेगा
हिंदी के प्रचार-प्रसार के लिए फिर बीज बोया जायेगा
पर हिंदी के इस बीज से फसल कहाँ हो पायेगी
अन्य भाषाओ से यह यूँही दबा दी जाएगी

दुःख तो हिंदी को होता है जब,
हिंदी से रोटी खाने वाले भी जब
आमतौर पर हिंदी भाषा से ही परहेज करते है
और अंग्रेजी भाषा का प्रयोग धडल्ले से करते है
वैसे तो देश में टीवी पर हिंदी चैनलों की भरमार है
हिंदी पत्रिकाओ के साथ- साथ बहुत से हिंदी अखबार है
पर क्या  इन सब के बावजूद  हिंदी को सम्मान मिल रहा है?
या गलत शब्दों के मेल-जोल से हिंदी का दिल छिल रहा है

हिंदी सिर्फ नही है एक भाषा,
न ही किसी देश की परिभाषा
हिंदी भारत की संस्कृति और सभ्यता की पहचान है
जिस पर हम सभी भारतवासियों को अभिमान है
हिंदी भाषा पूरे भारत को एकता में जोडती है
भारत को बंधक बनाने वाली हर बेडी को तोडती है
हिंदी भारत की आजादी लेन वाली एक चिंगारी है
जिसने फिरंगी दुश्मनों के मुंह पर ठोकर मारी है

इसलिए हमे हिंदी का अपमान नही, सम्मान करना चहिये
हिंदी लिखने-बोलने में शर्म नही, अभिमान करना चहिये
हिंदी के इस देश में गूंज उठे एक नारा
हिंदी है हम, वतन है हिंदोस्ता हमारा

2 comments:

  1. इसलिए हमे हिंदी का अपमान नही, सम्मान करना चहिये
    हिंदी लिखने-बोलने में शर्म नही, अभिमान करना चहिये
    हिंदी के इस देश में गूंज उठे एक नारा
    हिंदी है हम, वतन है हिंदोस्ता हमारा

    प्रशंशा योग्य

    लगता है आपने हरिओम पंवार जी की कविताएँ अधिक पढ़ी है
    कहीं कहीं उनकी शैली दृष्टिगोचर होती है .
    किन्तु मेरा यह आशय नहीं है की आप ने उनकी कविताओं के अंश लिए है
    मैं तो बस उनकी छवि की बात कर रहा हूँ जो काव्य में झलक रही है
    राष्ट्र भाषा के बिना राष्ट्र भी तो गूंगा सा लगता है
    बिन हिंदी भाषा के सारा जग सूना सा लगता है .

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  2. priya adity ji,
    aapne sach kaha maine hariom pawar ji ki bhut rachnaye padhi hai.
    main unhi ke shahar se hoon isliye meri rachnao me unki jhalak dikhlayi deti hai.

    dhanywaad..

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