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Sunday, May 29, 2011

बदनाम जिन्दगी

मैं ये तुमको क्या बताऊँ, जिन्दगी किसके नाम है,
समझना है तो यूं समझ लो, जिन्दगी बदनाम है

वक़्त है ठहरा, है ठहरें जमीं और आसमां
दिन निकलता ही नहीं, हर पल यहाँ बस शाम है

सोचा उनको तो सुना दें, हाल दिल की बेबसी का,
सुनकर वो हंसने लगे, ये तो किस्सा-ए-आम है

छाई थी एक खुमारी, उनके आँखों के नशे की,
पर वो तो ये समझ लिए, पिये हुए हम जाम है
- विभोर गुप्ता

1 comment:

  1. ati sundar.....dilkash gajal.........



    naveen
    http://drnaveenkumarsolanki.blogspot.com/

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