मित्रों, आज प्रीत चौदस है, मैं नही जानता ये दिन भारतीय संस्कृति को नुकसान पहुंचता है कि फायदा, किन्तु अपने आस-पास वालों को देख कर कुछ पंक्तिया लिखी है| अगर पसंद आये तो आपका आशीर्वाद चाहता हूँ|
गगन में भटकते पंछियों को बस दाना चाहिए
खुशबू से महकती पुरवा और मौसम सुहाना चाहिए
संस्कृति टूटती है तो लाख टूटे, इन्हें कोई फ़िक्र नहीं
भौरों को तितलियों से मिलने का बस कोई बहाना चाहिए
प्रेम कभी राधा-कृष्ण तो कभी मीरा के दिल में समाया है
कभी हीर-रांझा तो कभी लैला-मजनूं की दास्ताँ कहलाया है
पहरे कितने भी लगा लो इन पर, जंजीरें कम पड़ जाएगी
भला प्यार के परिंदों को कोई पिंजरें में कैद कर पाया है
जब किसी कुमारी से मेरे दिल का नहीं पाला था
तब मैं भी भारतीय संस्कृति का रखवाला था
आज मेरा मन भी किसी के सपने सजाने लगा
इसलिए आज मुझे वेलेंटाइन डे में प्रेम नजर आने लगा
-विभोर गुप्ता
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