उत्तर प्रदेश में चुनाव आयोग द्वारा बहनजी की और हाथी की मूर्तियों पर पर्दें ढके जाने के सन्दर्भ में दो छंद-
चुनाव आयोग पर ना इसका कोई इल्जाम दीजिये
अरे हाथ ना कटा कोई, और फूला ना हटा कोई,
साइकिल के भी ना ढकने को ना बदनाम कीजिये
ये तो बहनजी का आवेदन था आयोग से,
बतलाता हूँ राज़ तुम्हे, बस दिल थाम लीजिये
बारिश, ओलों में सर्दी बढ़ने लगी थी,
बोली बहन जी इन्हें सर्दी से बचने का भू काम कीजिये
देखो-देखो यारों, एक महावत है वहां कोई,
जो अपने हाथी को ढके हुए लिए जा रहा
अरे क्या तेरे हाथी को भी सर्दी लगी है
पूछा लोगों ने क्यूं इसे चादर उढ़ा रहा
बोला महावत इसे सर्दी तो लगी नहीं है भाई,
पर चुनाव आयोग का डंडा मुझे कंपा रहा
कल हाथियों को ही ढकने के लिए ही ना बोल दे,
इसीलिए मैं खुद ही इसे चादर से ढके जा रहा
-विभोर गुप्ता
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