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Friday, April 8, 2011

राष्ट्र चेतना



कवियों अपनी कलम उठाओ
आया समय, कुछ गीत लिखो,
भ्रष्टाचार विरोधी स्वर लिखकर
'अन्ना' के संग मीत लिखो

जाग उठे जन-जन, जागे जन-गण-मन,
         राष्ट्र चेतना जगाने को एक जाग चाहिये
धधक उठे क्रान्ति-ज्वाला  जन-जन में,
         मिटाने अंधियारे को, दावानल आग चाहिये
राष्ट्र्भक्ति के स्वर लिये, क्रान्ति का ज्वर लिये,
         परिवर्तन की आंधियों को, भैरवी राग चाहिये
पुकारे है गंगा मैली, कर डाली मुझे विषैली,
         ऐसे सांप-सपोलो को डसने को, शेषनाग चाहिये

1 comment:

  1. Hun Bharat desh ka waasi main,
    Ek roj kasam maine khai thi,
    kar ke aazad es Bharat ko
    maine wo kasam nibhai thi,
    kahaan gya wo balidaan mera
    yah aaj main tumse puchta hu,
    hai kasam tujhe us mitty ki
    jisme tune yah janam liya,
    us desh drohi ko na baksh dena
    jisne fir es desh ko loota hai,
    hai kasam tujhe us Bharat ki
    jisne tujhko sab kuch hai diya,
    hai aaj zarurat ek saath chalo
    aur jod do fir es Bharat ko,
    aur tod do fir un haaton ko
    jisne fir hamko alag kiya,
    hun Bharat desh ka waasi main,
    tum bhi es desh ke waasi ho
    tum bhi es desh ke waasi ho............

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