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Tuesday, August 21, 2012

चालबाज पडौसी आतंकी दरिन्दे भेजता रहा,
हम जेलों में उन्हें चिकन, बिरयानी परोसते रहे...
पाक जेहाद के नाम पर तबाहियाँ मचाता रहा,
हम भाई-भाई कहते हुए दोनों हाथ जोड़ते रहे...
पेंसठ सालों से माँ भारती को घाव दिए जा रहा,
हम गाँधी जी के बन्दर बने तामाशा देखते रहे...
आज इस्लामाबाद ने हिन्दुस्तान को जला दिया,
किन्तु दिल्ली वाले सियासी रोटियाँ सेकतें रहे...

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