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Friday, February 17, 2012

"यूपी में चुनावी जंग देखिये"-

उत्तर-प्रदेश की राजनीति पर आधारित मेरी चर्चित कविता जो कई समाचार पत्र एवं पत्रिकाओं में प्रकाशित हो चुकी है| आप लोगो के समक्ष प्रस्तुत है| आपके सुभाशीष एवं स्नेह को आतुर-

उत्तर प्रेदश में सियासी योद्धाओं की चुनावी जंग देखिये
ऐसे-ऐसे दांव-पेंच कि अपनी-अपनी आँखें दंग देखिये 
"शाम की दवा" पूछने को "छोटे यादवजी" का ढंग देखिये
गिरगिटों की तरह बदलते बागियों के बागी रंग देखिये

घर-घर खाना खाने को "युवराज" के मन की उमंग देखिये
निर्बलों से वोट मांगने को हाथ जोड़ते दबंग देखिये
पापियों के पाप ढोते भागीरथी में उठती तरंग देखिये
दागियों से हाथ मिलाने को एक दल को बनते गंग देखिये

बहरे को बजाते, गूंगे को गाते, ठुमके लगते लंग देखिये
अंधा देख हाल सुनाते, टकसाल लुटाते हुए नंग देखिये
"बहनजी" की मूर्तियाँ ढकने को चुनाव आयोग का अडंग देखिये
टिकटों की होड़ में अपनों से ही अपनों को होते तंग देखिये

वोट गणित बिगड़ देख हाईकमान के फड़कते अंग देखिये
"चौधरी" से डोर काट "अनुराधा" की उडती हुई पतंग देखिये
न्यारा दल बना बागी और दागियों को एक दूजे के संग देखिये
शब्दबाण, खींचतान में एक दूसरे की खिंचती टंग देखिये

यूपी के अखाड़ों में कुंवारें पहलवानों की सियासी दंग देखिये
बोतलों के जोर, ढोल नगाड़ों के शोर में मचता हुडदंग देखिये
चुनावी मौसम में एक दूजे की केंचुली बदलते भुजंग देखिये
कहाँ से निकला कौन कहाँ है जा रहा ऐसी सुरंग देखिये

बकरी से मिमियाने से सिंहों की नींदें होती भंग देखिये
गांधी जी के बंदरों के एक दूजे पर कसते व्यंग्य देखिये
"बटला हाउस मुठभेड़" के मुद्दें उछालते प्रसंग देखिये
राजनीति की नीतियों में संविधान को बनते अपंग देखिये....-विभोर गुप्ता, मेरठ

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