गुरु गोविन्द के केश-कंघे की तुम्हे कसम,
सरदारनी की कोख को न ऐसे बदनाम कीजिये.......
गाँधी के चरखे को तोड़ गया है दुष्ट आज,
दगाबाजी के कडवे घूँट शांति से ना पीजिये.........
माँ चामुंडा की जिह्वा फिर खून की प्यासी हुई,
पगड़ी बाँध हाथो में कृपाण थाम लीजिये........
दो शीष उतार कर ले गया है पकिस्तान,
बीस पाकिस्तानी मुंडी लाल किले पर टांग दीजिये......विभोर गुप्ता
सरदारनी की कोख को न ऐसे बदनाम कीजिये.......
गाँधी के चरखे को तोड़ गया है दुष्ट आज,
दगाबाजी के कडवे घूँट शांति से ना पीजिये.........
माँ चामुंडा की जिह्वा फिर खून की प्यासी हुई,
पगड़ी बाँध हाथो में कृपाण थाम लीजिये........
दो शीष उतार कर ले गया है पकिस्तान,
बीस पाकिस्तानी मुंडी लाल किले पर टांग दीजिये......विभोर गुप्ता