नमस्कार...


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Friday, March 23, 2012

लोकतंत्र पर हावी नोटतंत्र-


सिक्कों का शोर राजनीति में प्रभावी हो गया
नोटतंत्र लोकतंत्र पर  इस कद्र हावी हो गया
राज्यसभा चुनावों में सियासी दलों के ढंग देखिये
पैसे के बल उम्मीदवार उड़ा रहे, रंगीले रंग देखिये

राजनीति के राग अब प्रवासियों को भी भाने लगे
एन.आर.आई.भी राज्यसभा की दावेदारी जताने लगे
उद्योगपति उद्योग छोड़ संसद जाने को तैयार है
फिल्मों में नाचने-गाने वाले भी आज उम्मीदवार है

कहीं पिता की राजनितिक विरासत सँभालने बेटा आ रहा
तो कहीं किसी को मनाने के लिए टिकट दिया जा रहा
बिल्ली के छींकने से देखो आज छींकें टूटने लगे
संसद की दीवारों से जनसेवकों के रिश्तें छूटने लगे

संसद-विधानसभा तस्कर, लुटेरों का घर बन गयी
हत्या, जालसाजी, राहजनी कचहरियों से निडर बन गयी
अमावस्य में डूबे संविधान को अब प्रकाश चाहिए
जन-जन को जगाने हेतु कोई जयप्रकाश चाहिए

Friday, March 16, 2012

रेल मंत्री पर संकट-


रेल किराए में वृद्धि रेल मंत्री पर भारी पड़ गयी
दीदी अपने ही मंत्री की बर्खास्तगी पर अड़ गयी
अब बेचारी केंद्र सरकार, करे भी तो क्या करे
घोटाले इतने हुए कि, पैसे की जरूरत बढ़ गयी....विभोर गुप्ता 

Wednesday, March 14, 2012

उत्तराखंड की राजनीति-


उत्तराखंड में हफ्ते भर की बैठकों का दौर बंद हो गया
सत्ता-सिंहासन पर परिवारवाद फिर से बुलंद हो गया
कृमठ जनसेवक एक बार फिर लाचार दिखने लगे
और सड़कछाप दल-बदलू कुर्सियों में बिकने लगे  
निर्दलियों की खरीद फरोख्त में बीजेपी कमजोर पड़ गयी
निशंक की चालबाजी खंडूरी की हार बन गयी
बसपा भी बहती गंगा में अपना हाथी धोने लगी
कांगेस की बनती सरकार देख भाजपा रोने लगी
हरीश रावत भी नाराज, मुझे सी एम क्यों नहीं चुना
हाईकमान से लगी मुहर ऐसा क्या किये बहुगुणा
किन्तु साहब सिंहासन पर तो उन लोगों का ही जोर है
जिनका बस दस जनपथ की हवेली में ही शोर है.......विभोर गुप्ता 

Wednesday, March 7, 2012

कैसे मैं होली मनाऊं-

माँ भारती के दामन पर लगे है दाग,
तब कैसे मैं फाल्गुनी राग सुनाऊं
देश का चित्र है घायल दंगों से
तब कैसे त्यौहारों का चरित्र दिखाऊं
रंग तो हो गए कैद मजहब में
तब कैसे घरों में रंगोली सजाऊं
मेहंदी रोली पर जब गोली हावी हो
तब भला कैसे मैं ये होली मनाऊं.....विभोर गुप्ता