नमस्कार...


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Thursday, January 26, 2012

गणतंत्र की पुकार-


आज गणतंत्र के शुभ उपलक्ष्य पर आप सभी को ढेरों शुभकामनाये|  मैं आज अपनी रचना "गणतंत्र की पुकार" की कुछ पंक्तियाँ प्रस्तुत कर रहा हूँ|
आपके शुभाशीष एवं स्नेह को आतुर-

गणतंत्र दिवस मनाओ किन्तु एक प्रण आज लेना होगा
देश से बहुत कुछ लिया, अब देश को भी कुछ देना होगा 
गणतंत्र को सशक्त बनाने को अभी बहुत कुछ करना है
प्रजा पर हावी हो रहे इस तंत्र से हमें अभी लड़ना है

बाबा साहेब ने संविधान लिखा, लोकतंत्र सशक्त बनाने को
और हमने उसे हवाले किया राजशाहों के महल बसाने को
संविधान के प्रहरी ही जब संविधान पर प्रहार करते हो
नौकरशाह राजशाही के आगे भिग्गी बिल्ली से डरते हो

तब प्रजातंत्र बचाने को राजनीति पर लगनी चोट जरूरी है
व्यवस्था परिवर्तन को शत प्रतिशत होनी वोट जरूरी है 
घूस, रिश्वतखोरी, दलाली  व्यवस्था को बदलना होगा
जण-गण-मन पुकार रहा है, जन-जन को जगना होगा 

जनतंत्र का भावार्थ तभी, जनता की सरकार हो जब
गणतंत्र का शब्दार्थ तभी, गाँधी का सपना साकार हो जब
जिस दिन लालकिले से तिरंगा खुशहाली से लहरायेगा
वो दिन हिन्दुस्तान का दूसरा गणतंत्र दिवस कहलायेगा |
-विभोर गुप्ता 

Monday, January 23, 2012

आ जाओ सुभाष-


नेताजी सुभाषचन्द्र बोस की जयंती पर एक छंद आपके स्नेह और आशीष हेतु प्रस्तुत है-
 
खून के बदले में मिली थी जो आजादी हमें,
...............उसी आजादी का खून आज हो रहा है देश में  
फिरंगियों से छीन कर बनाया था कभी प्रजातंत्र,
................आज प्रजा पर ही तंत्र हावी हो रहा है देश में  
गरीबी, महंगाई, भ्रष्टाचार, शोषण से पीड़ित,
.................भूखा, नंगा नौनिहाल अब रो रहा है देश में  
जय हिंद करे उदघोष, आ जाओ सुभाष बोस,
...............काले अंग्रेजों का आतंक अब हो रहा है देश में.......विभोर गुप्ता 

Saturday, January 14, 2012

स्वामी रामदेव पर काली स्याही-


योग गुरु स्वामी रामदेव पर काली स्याही डालने के विरोध में एक छंद प्रस्तुत है...

अजमल-अफज़ल को परोस मटन-चिकन-बिरयानी,
..................आतंकी उग्रवादियों को पालने लगे है लोग देश में
राष्ट्रधर्म, संस्कृति की बातें ना करना यहाँ कभी,
...................देशप्रेमियों पर कालिख डालने लगे है लोग देश में 
करोड़ों बांग्लादेशी घुसपैठियों को तो बाहर ना कर सके,
...................एक नेपाली का मुद्दा उछालने लगे है लोग देश में
काले धन की तिजोरियों पर आँच ना आने पायी,
.................किन्तु फकीरों के कटोरें खंगालने लगे है लोग देश में 
-विभोर गुप्ता 

Thursday, January 12, 2012

स्वामी विवेकानंद क्यूं नहीं है पैदा हो रहे-


आज "स्वामी विवेकानंद जयंती" और "युवा दिवस" पर एक छंद प्रस्तुत करता हूँ-

शिकागो में अपने धर्म का परचम फहराने वाले,
                हिन्दुस्तानी अपने आदर्श, मान, सम्मान कहाँ खो रहे
सभ्यता, संस्कृति, संस्कार के धनी देश वाले,
                पश्चिम के रीति-रिवाजों को अपनी पीठ क्यूं है ढो रहे 
युवाओं की ख़ामोशी और देश की बदहाली देख,
                   श्री रामकृष्ण परमहंस आज आँखें भर-भर रो रहे 
युवाओं को जगाने हेतु बने जो विवेकानंद,
                 ऐसे नरेंद्र भला आज देश में क्यूं नहीं है पैदा हो रहे 
-विभोर गुप्ता 

Tuesday, January 10, 2012

मूर्तियों पर पर्दें-


उत्तर प्रदेश में चुनाव आयोग द्वारा बहनजी की और हाथी की मूर्तियों पर पर्दें ढके जाने के सन्दर्भ में दो छंद-

यू पी में मूर्तियों पर परदें पड़ने लगे है,
                    चुनाव आयोग पर ना इसका कोई इल्जाम दीजिये
अरे हाथ ना कटा कोई, और फूला ना हटा कोई,
                    साइकिल के भी ना ढकने को ना बदनाम कीजिये
ये तो बहनजी का आवेदन था आयोग से,
                        बतलाता हूँ राज़ तुम्हे, बस दिल थाम लीजिये
बारिश, ओलों में सर्दी बढ़ने लगी थी,
                  बोली बहन जी इन्हें सर्दी से बचने का भू काम कीजिये

देखो-देखो यारों, एक महावत है वहां कोई,
                  जो अपने हाथी को ढके हुए लिए जा रहा
अरे क्या तेरे हाथी को भी सर्दी लगी है
                     पूछा लोगों ने क्यूं इसे चादर उढ़ा रहा
बोला महावत इसे सर्दी तो लगी नहीं है भाई,
                    पर चुनाव आयोग का डंडा मुझे कंपा रहा
कल हाथियों को ही ढकने के लिए ही ना बोल दे,
                 इसीलिए मैं खुद ही इसे चादर से ढके जा रहा 
-विभोर गुप्ता 

Thursday, January 5, 2012

राजनीति की नीतियाँ-


उ.प्र. में दागी मंत्री बाबु सिंह कुशवाहा को भाजपा में शामिल किये जाने पर एक मुक्तक-

राजनीति की नीतियाँ मुझको अखरने लगी है
गद्दी कब्जाने को बीजेपी भी ऐसा करने लगी है
कल तक दागियों को खुलेआम कोसा करती थी
आज अपने ही घर में दागियों को भरने लगी है|