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Thursday, February 24, 2011

डा. हरिओम पंवार को समर्पित

ये रचना डा. हरिओम पंवार को समर्पित है, डा. हरिओम पंवार वीर रस के जाने -माने हिंदी कवि है. वो मेरे लिए एक आदर्श रहे है, मेरी दिली तमन्ना रही है कि मैं भी उन्ही के जैसा एक अच्छा कवि बनूँ. वो अपनी रचनाओं से सदा संसार को महकाते रहे. भगवान उन्हें दीर्घायु और उत्तम स्वास्थ्य प्रदान करें.

जिसने गायी है घायल घाटी के दिल की धड़कन,
और सुनाई है मंचों से वीर सैनिकों के दिल की तडपन
जो बनकर संविधान भारत का, लाल किले से बोले है
जिनकी कविता में अग्निगंधा और शब्दों में शोलें हैं
वो जब भी मंचों से देशभक्ति वाले गीत गाते है,
श्रोताओं के अंदर क्रांति का एक जूनून ले आते है
जिनकी कविता कारगिल में, दुश्मनों पर शूल बनी,
और तिरंगे में लिपटे शहीदों की अर्थी पर फूल बनी
पोखरण विस्फोटों के बाद जब भारत पर प्रतिबंधों का साया था,
दिल्ली का हौंसला बढ़ाने को, तब उसने दिल्ली में गाया था
अब कोई भी प्रतिबन्ध हमें बिलकुल भी नहीं डरा सकता
सी.टी.बी.टी. पर दिल्ली के हस्ताक्षर नही करा सकता
अयोध्या की आग पर भड़की जानता को समझाया था
देश जला देगी, ये चिंगारी मजहब की, उसने गाया था
जिसने अमर शहीदों की यादों से कविता को महकाया है
और जिसने सदैव भूखी अंतड़ियों की पीड़ा को गाया है
कायर सत्ता को दर्पण दिखलाने को कविता जिनकी हथियार है
वीर रस के वो ओजस्वी कवि डा. हरिओम पंवार है
उनकी कविता में निराला, दिनकर, भूषण की पहचान है
माना उन्हें अपना आदर्श, मुझको शत-शत अभिमान है.

9 comments:

  1. सुंदर रचना....आपकी तमन्ना जरूर पूरी हो...आपकी लेखनी को शक्ति मिले...
    http://veenakesur.blogspot.com/

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  2. हार्दिक शुभकामनाएं तथा डॉ. हरिओम पवार को सादर नमन

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  3. ek dam sahi disha he, aap koshish kare to Dr.Pavar jaisa ya unse bhi upar likh sakte, hain,

    Touch the sky, but never leave the earth!

    all the very best

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  4. khare ji,
    bhut bhut dhanywad apka...
    aap bhi bhut achha likhte hai, maine apki kuchh achanaye padhi...

    aapko bhi all the best..

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  5. इस नए सुंदर से चिट्ठे के साथ आपका हिंदी ब्‍लॉग जगत में स्‍वागत है .. नियमित लेखन के लिए शुभकामनाएं !!

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  6. harish ji,
    dhanywad
    aapko bhi holi ki subhkamnaye..

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